तोंगपाल, रेंजर के द्वारा कैम्पा के स्ट्राइक फोर्ट वाहन का किया जा रहा है दुरूपयोग,शासन के निर्देशों का एक तरफा उलंघ्घन
रायपुर / छत्तीसगढ़ वन विभाग में कुछ गिने चुने रेंजर लोगों की मनमानी सामने आ रहा है, प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय से आदेश जारी हुआ है कि, कैम्पा से आबंटित स्ट्राइक फोर्स के वाहन को केवल परिक्षेत्र के अंतर्गत ही उपयोग किया जाना है! लेकिन उक्त निर्देशों का धड़ल्लेस से दुरूपयोग किया जा रहा है।
प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभागों के लिए यह समय मौज-मस्ती का दौर साबित हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, कई विभागों के अधिकारी नियमित कार्यों के बजाय मनमानी पर उतर आए हैं।
इसी कड़ी में वन विभाग की तस्वीर खुलकर सामने आया है, वन विभाग के लक्ष्मी पुत्र कहे जाने वाले रेंजर लोग कैम्पा द्वारा आबंटित शासकीय वाहनों का दुरूपयो कर रहे है!

बस्तर क्षेत्र से वन विभाग का कमान संभाल रहे मंत्री केदार कश्यप जी उनके संरक्षण में अधिकारी खुली छूट का लाभ उठाते नजर आ रहे हैं। तस्वीरें और जमीनी हालात स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि शासन द्वारा जारी कड़े निर्देशों के बावजूद भी अधिकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
तोंगपाल रेंज की उड़न खटोला दौड़ रहा है दंतेवाड़ा में
“सरकारी वाहनों का निजी उपयोग, शासन के आदेशों का अनदेखा”
अंधेर नगरी चौपट राजा की वास्तुत: कहानी बस्तर में देखने को मिल रहा हैं।
वन विभाग में अधिकारियों द्वारा सरकारी वाहनों का लगातार दुरुपयोग किया जा रहा है। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि कोई भी वाहन अपने रेंज या निर्धारित क्षेत्र से बाहर उपयोग नहीं किया जा सकता इसके बावजूद अधिकारी इन वाहनों को निजी उपयोग में लाकर पूरे प्रदेश में दौड़ाते फिर रहे हैं। यह स्थिति न केवल शासन की अवमानना है, बल्कि आम जनता के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग भी है।

जानकारी के अनुसार, पूर्व में कई बार दूसरे क्षेत्रों में वाहन संचालन के दौरान दुर्घटनाएं हुई है जैसे नारायणपुर रेंजर की गाड़ी को एसडीओ रखा हुआ था, धमतरी के आस पास घटी घटना वाहन कू कलपुर्जे उड़ गये थे।
वाहन संचालन के दौरान दुर्घटनाएं होने के बावजुद
अधिकारियों ने मरम्मत करवाकर मामले को दबा दिया था। शासन ने इसी कारण स्पष्ट रूप से निर्देश जारी किया है, लेकिन आज भी इन आदेशों का खुलेआम मजाक उड़ाया जा रहा है।

“लंबे समय से एक ही जगह पर जमे हैं अधिकारी, ट्रांसफर आदेशों का पालन नहीं” शासन के स्थानान्तरण नीति का किया जा रहा है उलंघ्घन!
बस्तर क्षेत्र के कई रेंजों में देखा गया है कि अधिकारी और कर्मचारी वर्षों से एक ही पद पर जमे हुए हैं। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि स्थानांतरण आदेश के 10 दिनों के भीतर पदभार छोड़ना अनिवार्य है, लेकिन कई अधिकारी दशकों से अपने पुराने स्थान पर जमे हुए हैं। कुछ तो पूरे करियर का अधिकांश समय एक ही जगह बिताकर सेवानिवृत्ति की ओर बढ़ रहे हैं।
रिलीव न करने की मनमानी के चलते कई कर्मचारी भी नए स्थान पर ज्वाइन नहीं कर पा रहे हैं। इससे विभागीय कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और नीचे के स्तर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों में काफी नाराजगी देखने को मिल रहा है।

“अधिकारियों की मनमानी से परेशान है कर्मचारी, विरोध की तैयारी में निचले स्टाफ”
विभागीय सूत्रों के अनुसार, उच्च अधिकारियों की मनमानी का खामियाजा निचले स्तर के कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। सुकमा रेंजर द्वारा लगातार प्रताड़ना और दबाव डाला जा रहा है, जिसमें नव नियुक्त वन मंडलाधिकारी उस दमनकारी रेंजर के चंगुल में फंस चुके है जिसके कारण निचले स्तर के काफी नराजगी है! अब कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं। कर्मचारियों का कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
“मंत्री की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल”
बस्तर के आदिवासी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियो को किया जा रहा है परेशान

अधिकारियों में भय इसलिए समाप्त हो गया है क्योंकि विभागीय मंत्री स्वयं बस्तर क्षेत्र से हैं? क्या मंत्री द्वारा अधिकारियों को खुली छूट दे दी गई है? यदि ऐसा है, तो यह शासन की कार्यप्रणाली और जवाबदेही दोनों पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। विभागीय अनुशासन की गिरती स्थिति यह संकेत दे रही है कि या तो मंत्री स्थिति से अनभिज्ञ हैं या जानबूझकर आंख मूंदे हुए हैं।

सुकमा रेंजर की मनमानी,और आतंग से है कर्मचारी परेशान, ईधर जगदलपुर में डिप्टी रेंजर झा से है परेशान जो घर की दुकान में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी एवं श्रमिकों को लेजाकर 12 चक्का,16 चक्का ट्रकों से माल खाली करवाते हैं।
विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी को दिहाड़ी मजदूर से बत्तर बना दिया गया है।
बस्तर में शासन उजाला लाने का प्रयास कर रहा है जी तोड़ मेहनत कर रहा है वही प्रशासनिक अधिकारी बस्तरिहा आदिवासी का शोषण करने में कोई कसर नही छोड़ रहा है!

