तोंगपाल /सुकमा रेंजर की मनमानी कैम्पा के वाहन का किया जा रहा है दुरूपयोग,शासन के निर्देशों को दिखाया जा रहा है ठेंगा
रायपुर / छत्तीसगढ़ वन विभाग के सुकमा वन मंडल में तोंगपाल / सुकमा रेंजर के द्वारा शासन के निर्देशों को दिखाया जा रहा है ठेंगा! वन मुख्यालय से निकले हुए निर्देशों का एकाएक किया जा रहा है उलंघ्घन, वन मुख्यालय से निर्देश प्रसारित किया गया है कि कैम्पा द्वारा आबंटित स्ट्राइक फोर्स का उपयोग केवल वन परिक्षेत्र के अंतर्गत ही किया जाना है! किन्तु रेंजरों के द्वारा अनाधिकृत रूप से फिल्ड एरिया से बाहर दौड़ाया जा रहा है, कई रेंजर तो अपने निजी घरेलु कार्य या अपने गृह निवास आने जाने में उपयोग करते हैं।
शासन के द्वारा उपलब्ध कराये गये वाहन, व डिजल पेट्रोल के राशि का दोहन किया जा रहा है, तोंगपाल / सुकमा रेंजर की मनमानी खुलकर सामने आ रहा है!

प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद से अधिकारियों का बोल बाला है, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि विभागों के लिए यह समय मौज-मस्ती का दौर साबित हो रहा है।
तोगपाल और सुकमा रेंज के प्रभार में पदस्थ रेंजर, लगातार बस्तर में अपना कब्जा जमाये हुए है, सीधे साधे बस्तरिहा आदिवासियों का शोषण कर रहे हैं। वन मंत्री है ये लोगों पर मेहरबान, बस्तर के आदिवासी दैनिक श्रमिक लगातार हो रहे है प्रताड़ित और बाहरी लोगों घुसपैठिए लोगों का धमक जारी है।

वन विभाग की तस्वीर खुलकर सामने आया है, वन विभाग में लक्ष्मी पुत्र कहे जाने वाले रेंजर लोग कैम्पा द्वारा आबंटित शासकीय वाहनों का खुलकर कर रहे है दुरूपयोग ! बस्तर क्षेत्र में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष व वन मंत्री है इन लोगों के रहते घुसपैठिए लोगों के आतंक से परेशान है दैनिक श्रमिक, तोंगपाल,सुकमा रेंजर के कलिन साथी भी उन्हे पसंद नही करते हैं। वाहन चालक को जगदलपुर भेजता है,अपने निजी कामों के लिये नास्ता पानी का भी पैसा नही देता रात रात को जगदलपुर से तोंगपाल आते है बस से वाहन चालक!

एक वाहन चालक सुकमा का है जो 12-13 वर्षों से लगातार उड़नदस्ता वाहन चालक के रूप में कार्य कर रहा है जिसे गाड़ी से उतारकर मजदुरी कार्य के लिये जंगल भेजा जा रहा है। जब जरूरत रहा तो दिन रात चलवाया गाड़ी,जब जरूरत पुरा होते नजर आ रहा है तो उन्हे जंगल मजदुरी के लिये भेजा जा रहा है। सुकमा डीएफओ जब कसडोल मेें एसडीओ रहे दीनकर साहब तो बहुत अच्छे रहे दैनिक वेतनभोगी से लेकर रेगुलर कर्मचारियो का सपोर्ट करते रहा,आज भी कसडोल क्षेत्र में दैनिक वेतनभोगी उनकी प्रशंसा करते है , लेकिन सुकमा में डीएफओ बनकर आते ही व्यवहार में अचानक परिवर्तन हो गया है, छोटे छोटे दैनिक वेतनभोगी को प्रताड़ित करना चालु कर दिये है उड़दस्ता वाहन से उतारकर मजदुरी कार्य के लिये भेज रहे है। वाहन चालक में कुशल दर से वेतन भुगतान होता था ,जंगल में भेज रहे है तो क्या कुशल दर से मजदुरी से भुगतान होगा ? श्रम अधिनियम 1948 के नियमों का धज्जियां उड़ाई जा रही है ! कुशल से अकुशल हलक में नही उतर रहा है, यह सब कारनामा तोंगपाल/ सुकमा रेंजर का किया कराया है जो आज देखने को मिल रहा है।

तोंगपाल रेंज की कैम्पा की उड़न खटोला दौड़ रहा है दंतेवाड़ा में और रायपुर में

रायपुर में खड़े है वाहन
“सरकारी वाहनों का निजी उपयोग” क्या उच्च अधिकारियों का है संरक्षण ?”
अंधेर नगरी चौपट राजा की वास्तुत: कहानी बस्तर में देखने को मिल रहा हैं।
वन विभाग में अधिकारियों द्वारा सरकारी वाहनों का लगातार दुरुपयोग किया जा रहा है। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि कोई भी वाहन अपने रेंज या निर्धारित क्षेत्र से बाहर उपयोग नहीं किया जा सकता इसके बावजूद अधिकारी इन वाहनों को निजी उपयोग में लाकर पूरे प्रदेश में दौड़ाते फिर रहे हैं। यह स्थिति न केवल शासन की अवमानना है, बल्कि आम जनता के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है।
बस्तर में शासन उजाला लाने का प्रयास कर रहा है जी तोड़ मेहनत कर रहा है वही प्रशासनिक अधिकारी बस्तरिहा आदिवासी का शोषण करने में कोई कसर नही छोड़ रहा है!
किसी का आह लेना भी एक कोई आईसीयू से कम नहीं है, आईसीयू से तो बंचकर निकल जायेंगें लेकिन इसमें कोई दवा ही काट नही करता है।
इसलिये इंसानियत को जिंदा हर मानव का कर्तव्य है,सो न किसी को तड़पाये न किसी को सतायें!

